
क्या होता है स्थानांतरण
क्या होता है स्थानांतरण: स्थानांतरण का अर्थ होता है स्थान परिवर्तित करना। अन्य विभाग की तरह नियोजित शिक्षकों को भी स्थानांतरण का मौका दिया जाता है। जब एक शिक्षक ऐसी जगह पदस्थापित हो जाते हैं जहां का वातावरण उनके लिए प्रतिकूल होता है। या उन्हें अपने घर से कहीं दूर नियुक्ति मिल जाती है या अन्य कारणों से पुरानी जगह को छोड़कर नई जगह नियुक्ति चाहते हैं। तो ऐसे शिक्षकों को स्थानांतरण का अवसर दिया जाता है। स्थानांतरण की प्रक्रिया में न तो सेवा में टूट आती है ना ही वेतन वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है। एक स्कूल से विरमित होकर नए स्कूल में योगदान देते हैं। लेकिन स्थानांतरण के कुछ नियम है उन्हें पूरा करना आवश्यक है। स्थानांतरण के क्या नियम है इसकी चर्चा हम आगे करेंगे। इसके अलावा हम आपको यह भी बताएंगे स्थानांतरण कितने प्रकार के होते हैं। और स्थानांतरण का लाभ कब किसे कैसे मिलता है
स्थानांतरण के प्रकार
नियोजित शिक्षकों को दो प्रकार के स्थानांतरण दिए जाते हैं
- ऐच्छिक स्थानांतरण और
- पारस्परिक स्थानांतरण
ऐच्छिक स्थानांतरण का अर्थ होता है इच्छा के अनुसार स्थानांतरण। यह विशेष रूप से महिला और दिव्यांग शिक्षकों को दिया जाता है। इसमें शिक्षक अपनी इच्छा अनुसार कहीं भी स्थानांतरण ले सकते हैं।और अपने विद्यालय से विरमित होकर नए विद्यालय में योगदान दे सकते हैं।
पारस्परिक स्थानांतरण को Mutual Transfer भी कहते हैं। पारस्परिक स्थानांतरण में 2 शिक्षक अपने स्थान को परस्पर बदल लेते हैं। कहने का अर्थ यह है कि पहला शिक्षक दूसरे शिक्षक का स्थान ले लेते हैं जबकि दूसरे शिक्षक पहले शिक्षक के स्थान पर आ जाते हैं। इस प्रकार पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया संपन्न होती है।



नियोजित शिक्षकों के स्थानांतरण के नियम
Niyojit Teacher Transfer Rule: नियोजित शिक्षकों के स्थानांतरण संबंधी नवीनतम नियमावली शिक्षक नियोजन नियमावली 2020 है। इसके अनुसार प्रधान अध्यापक, शिक्षक एवं अनुदेशक के पद सामान्यतः अस्थानान्तरणीय होगा। परन्तु प्रधान अध्यापक एवं शिक्षक के लिए इसमें निम्न अपवाद होंगे उन्हें स्थानांतरण का अवसर दिया जाएगा।
- प्रधान अध्यापक एवं शिक्षक को अपनी सेवा काल में तीन वर्षों के उपरांत नियोजन इकाई के क्षेत्राधीन विद्यालयों में अधिकतम दो ऐच्छिक स्थानान्तरण लेने की सुविधा रहेगी।
- दो ऐच्छिक स्थानान्तरण के बीच कम-से-कम पाँच वर्षों का अन्तराल आवश्यक होगा।
- स्थानान्तरण शिक्षक की अपनी ही श्रेणी एवं संवर्ग में किया जा सकेगा।
- यदि किसी विद्यालय के एक रिक्त पद हेतु एक से अधिक स्थानान्तरण के आवेदन प्राप्त होते हैं, तो क्रमशः दिव्यांग प्रधान अध्यापक एवं शिक्षक तथा महिला प्रधान अध्यापक एवं शिक्षिका को प्राथमिकता देते हुए आपसी वरीयता के आधार पर स्थानान्तरण की कार्रवाई संबंधित नियोजन इकाई के सदस्य सचिव के द्वारा अध्यक्ष की सहमति से की जायेगी। इस कार्रवाई की सम्पुष्टि नियोजन हेतु गठित समिति के द्वारा की जायेगी।
- बच्चों की निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 (RTE 2009) एवं तद्नुरूप अधिसूचित नियमावली में निहित प्रावधानों के अनुपालन में प्रशासी विभाग द्वारा किसी अन्य विद्यालय में शिक्षकों के सामंजन का आदेश नियोजन इकाई को दिया जा सकेगा। इसका अनुपालन निर्धारित समय-सीमा में नियोजन इकाई के सदस्य सचिव के द्वारा अध्यक्ष की सहमति से की जाएगी।
- वित्तीय अनियमितता, नैतिक अधमता (moral turpitude) अथवा गंभीर आरोप प्रमाणित होने की स्थिति में विद्यालय एवं छात्र हित में प्रधान अध्यापक/शिक्षक का प्रशासनिक दृष्टिकोण से एक बार स्थानान्तरण संबंधित नियोजन इकाई के सदस्य सचिव के द्वारा अध्यक्ष की सहमति से की जायेगी।
- दिव्यांग शिक्षक एवं महिला शिक्षिका को अंतर नियोजन इकाई (अंतर जिला सहित) में एक बार ऐच्छिक स्थानान्तरण की सुविधा होगी। साथ ही, पुरूष शिक्षकों को एक बार अन्तर नियोजन इकाई (अंतर जिला सहित) में पारस्परिक स्थानांतरण की सुविधा होगी। इस हेतु आरक्षण कोटि, वरीयता आदि को ध्यान में रखकर प्रशासी विभाग द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से निर्गत किया जाएगा।
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