
विद्यालय प्रबंधन समिति क्या है
स्कूल को अच्छे ढंग से चलाने के लिए स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों के माता-पिता ख़ासकर माताओं व स्कूल के अध्यापकों से मिलकर एक समिति गठन की जाती है जिसे स्कूल प्रबंधन समिति School Management Committee (SMC) कहते है। यह आर.टी. ई.2009 यानि बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत अनिवार्य है। राजकीय एवं निजी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय में निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार विधेयक 2009 (RTE Act) की धारा 21 के प्रावधान के अनुसार विद्यालयों में समुदाय की सहभागिता व स्वामित्व बढ़ाने के विद्यालय प्रबंधन समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है। SMC शिक्षकों एवं अभिभावकों का एक साझा मंच हैै। विद्यालय प्रबन्ध समिति में कुल 15 सदस्य होंगे। 11 सदस्य विद्यालय के बच्चों के माता-पिता या अभिभावक होंगे। शेष 4 सदस्य निम्न होंगे-ग्राम पंचायत सदस्य, सहायक नर्स या ए0एन0एम0, लेखपाल एवं प्रधानाध्यापक सम्बन्धित विद्यालय। विद्यालय प्रबंध समिति के 50 प्रतिशत सदस्य महिलायें होंगी।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक विद्यालय प्रबंध समिति के पदेन सचिव होते हैं। तथा अध्यक्ष मनोनीत किए जाते हैं इसके अतिरिक्त विद्यालय प्रबंधन समिति के 13 सदस्य होते हैं। जिनमें एक सदस्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के होने आवश्यक हैं तथा एक का शिक्षा प्रेमी होना चाहिए और एक सदस्य उन परिवार से होने चाहिए जिसका योगदान विद्यालय की स्थापना में हो।
विद्यालय प्रबंधन समिति के गठन का उद्देश्य
विद्यालय प्रबंधन समिति के गठन का एकमात्र उद्देश्य विद्यालय में समुदाय की सहभागिता और स्वामित्व बढ़ाना है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत इसे अनिवार्य कर दिया गया। भारत एक गणतंत्र है। यहां शक्तियों का बटवारा क्या गया है। सम्पूर्ण शक्तियां एक हाथों में केंद्रित न होकर अलग-अलग हाथों में विभाजित है। विद्यालय भी एक संगठन है इसके लिए आवश्यक है विद्यालय में समुदाय की सहभागिता। क्यूंकि विद्यालय में समाज के ही बच्चे पढ़ते हैं इसलिए समाज की सहभागिता आवश्यक है। वे अपने बच्चों कि बेहतर देख-रेख के लिए और बेहतर शिक्षा के लिए विद्यालय में बेहतर शैक्षणिक वातावरण की स्थापना का हर संभव प्रयास करेंगे।



विद्यालय प्रबंधन समिति की शक्तियाँ
विद्यालय प्रबंध समिति की शक्तियाँ निम्नलिखित होंगे
- प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों के कार्यकलापों पर निगरानी रखना एवं निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखना कि प्रधानाध्यापक:
- विद्यालय में शैक्षणिक वातावरण में सुधार लायें; विद्यालय में समुचित अनुशासन बनाये रखें
- शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों पर समुचित नियंत्रण रखें
- शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को समयनिष्ठ बनायें
- विद्यालय के उपस्कर एवं अन्य सामग्री का संरक्षण करें एवं उनका लेखा रखें
- विद्यालय के रिक्त पदों पर नियमानुसार नियुक्ति के लिए सक्षम प्राधिकार का ध्यान आकृष्ट कराना।
- शिक्षकों के गहन प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
- विद्यालय के संचालन में अभिभावकों एवं स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों के सहयोग की व्यवस्था करना।
- विद्यालय भवन की मरम्मती एवं सफाई की व्यवस्था करना; विद्यालय के लिए विकास कार्यक्रमों की व्यवस्था करना
- विद्यालय के विकास के लिए सरकार से प्राप्त अनुदान राशि को समय पर उपयोग एवं समुचित लेखा संधारण की व्यवस्था सुनिश्चित कराना और
- विद्यालय के हित में अन्य आवश्यक कार्रवाई करना।
नोट: समिति के सभी निर्णय बहुमत द्वारा लिए जाएँगे।
विद्यालय प्रबंधन समिति के पदेन सचिव (प्रधानाध्यापक) के कर्तव्य
- अध्यक्ष से अनुमति प्राप्त कर प्रबंध समिति की बैठक समय-समय पर बुलाना
- बैठक की कार्यवाही तैयार करना और उसे समुचित ढंग से रखना
- विद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों पर पूर्ण नियंत्रण रखना
- विद्यालय में समुचित अनुशासन बनाये रखना
- विद्यालय में शिक्षण की प्रगति पर ध्यान रखना
- पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षकों द्वारा दिए गए शिक्षण की प्रगति पर ध्यान रखना
- विद्यालय, भवन, उपस्कर, पाठ्य सामग्री, कक्षाओं, प्रयोगशाला, पुस्तकालय आदि भी समुचित सफाई एवं रख-रखाव पर ध्यान देना; विद्यालय की मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षाओं का समय पर संचालन और पुस्तिकाओं के सही मूल्यांकन एवं समय पर परीक्षाफल के प्रकाशन पर नियंत्रण करना
- विद्यालय संचालन के लिए सरकार से प्राप्त धनराशि तथा विद्यालय निधि का नियमानुसार एवं समुचित उपयोग करना एवं संबंधित लेखा का संतोषप्रद संधारण करना
- विद्यालय लेखा का समय-समय पर अंकेक्षण कराना तथा अंकेक्षण आपत्तियों का निराकरण करना
- विद्यालय में शिक्षा के साथ-साथ खेल-कूद, वाद-विवाद प्रतियोगिता अन्य बाल विकासोपयोगी कार्यक्रम की व्यवस्था करना
- शिक्षकों के परामर्श से शैक्षणिक तथा अन्य उपयोगी कार्यक्रमों का निर्धारण तथा स्कूल कैलेन्डर लागू करने की व्यवस्था करना
- और विद्यालय का सर्वंगीन विकास करना
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