स्वतंत्रता दिवस से संबंधित शिक्षा विभाग का दिशा-निर्देश
शिक्षा विभाग की ओर से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जिला स्तर से लेकर विद्यालय स्तर तक के लिए दिशा निर्देश जारी किया गया है। वास्तविकता में माननीय उच्च न्यायालय पटना के आदेशानुसार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सभी विद्यालयों में संविधान की प्रस्तावना, मूल अधिकार, मौलिक कर्तव्य आदि का छात्रों द्वारा वाचन कराया जाएगा ताकि समाज में संवैधानिक एवं विधिक जागरूकता आए। इस अभियान को सफल बनाने के लिए शिक्षा विभाग बिहार सरकार के निदेशक-सह-विशेष सचिव मनोज कुमार ने एक पत्र जारी किया है

शिक्षा विभाग के आदेशानुसार प्रत्येक विद्यालय में निम्नलिखित गतिविधियां आवश्यक है
- संविधान की प्रस्तावना का वाचन
- मूल अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 32 तक) का वाचन
- मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51 क) का वाचन
- अनुच्छेद 39 क (सामान्य न्याय एवं नि:शुल्क विधिक सहायता) का वाचन
- विधिक सेवा प्राधिकार अधिनियम 1987 की धारा 12 का वाचन
संविधान की प्रस्तावना

मूल अधिकार

मौलिक कर्तव्य

अनुच्छेद 39 क
Anuched 39(ए) अनुच्छेद 39 क को सामान्य न्याय एवं नि:शुल्क विधिक सहायता अधिनियम भी कहते है। इसके अनुसार नागरिकों, पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से आजीविका के पर्याप्त साधन का अधिकार है।
विधिक सेवा प्राधिकार अधिनियम 1987 की धारा 12
विधिक सेवा देने के लिए मानदंड-प्रत्येक व्यक्ति, जिसे कोई मामला फाइल करना है या उसमें प्रतिरक्षा करनी है, इस अधिनियम के अधीन विधिक सेवा का हकदार होगा, यदि ऐसा व्यक्ति, –
(क) अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य है
(ख) संविधान के अनुच्छेद 23 में यथानिर्दिष्ट मानव के दुर्व्यापार या बेगार का शिकार है
(ग) स्त्री या बालक है
(घ) निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार, संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) की धारा 2 के खंड (न) में परिभाषित निःशक्त व्यक्ति है;]
(ङ) अनर्ह अभाव की दशाओं के अधीन व्यक्ति है, जैसे, बहुविनाश जातीय हिंसा, जातीय अत्याचार, बाढ़, सूखा, भूकम्प या औद्योगिक संकट का शिकार है; या
(च) औद्योगिक कर्मकार है; या
(छ) अभिरक्षा में है, जिसके अंतर्गत अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 (1956 का 104) की धारा 2 के खंड (छ) के अर्थ में किसी संरक्षण गृह में, या किशोर न्याय अधिनियम, 1986 (1986 का 53) की धारा 2 के खंड (ञ) के अर्थ में किसी किशोर गृह में, या मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 (1987 का 14) की धारा 2 के खंड (छ) के अर्थ में किसी मनश्चिकित्सीय अस्पताल या मनश्चिकित्सीय परिचर्या गृह में की अभिरक्षा भी है
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