विद्यालय प्रभार के वरीयता का नियम

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आज के इस लेख में हम जानेंगे: विद्यालय प्रभार के वरीयता का नियम | प्रधान शिक्षक और प्रधान अध्यापक पद के वरीयता का नियम | विद्यालय प्रभार में किसे मिलेगी वरीयता

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विद्यालय प्रभार के वरीयता का नियम

दोस्तों नेतृत्व एक प्रतिभा है जो हर किसी को भाता है। हर कोई चाहता है कि वह एक समूह का नेतृत्व करें। नेतृत्व क्षमता कभी अधिकार होता है तो कभी हमारा कर्तव्य बन जाता है। विद्यालय भी शिक्षकों का एक समूह है वहां पठन-पाठन के लिए अच्छे शैक्षिक वातावरण की स्थापना के लिए एक नेतृत्वकर्ता यानी प्रधानाध्यापक का होना आवश्यक है। जब विद्यालय में प्रधानाध्यापक की अनुपस्थिति होती है तो ऐसे विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद का प्रभार किसी शिक्षक को सौंपा जाता है। प्रधानाध्यापक का प्रभार किन शिक्षकों को सौंपा जाएगा यह उसका वरीयता निर्धारित करता है। आज की इस लेख में हम जानेंगे कि प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक के प्रभार के वरीयता के क्या नियम हैं। ताकि एक शिक्षक के रूप में आपको पता चल सके कि आपका अधिकार क्या है और क्या आपका कर्तव्य है।Subscribe Teacher Rahmat
कई बार ऐसा होता है कि वरीयता की अज्ञानता आपसी विवाद का कारण बन जाती है। विद्यालय में पठन-पाठन बाधित हो जाता है और अन्य व्यवस्था सही ढंग से संचालित नहीं हो पाती। इसीलिए प्रभार के वरीयता को जानना एक शिक्षक के लिए काफी आवश्यक है। तो आइए एक एक करके हम हर बिंदुओं पर चर्चा करते हैं।Subscribe Teacher Rahmat

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HM Seniority Rule

प्राथमिक विद्यालय के प्रधान शिक्षक या मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक के पद के प्रभार के निम्नलिखित बिंदु हैं।

  1. वेतनमान का समान होना
  2. शिक्षकों का ग्रेड
  3. सेवा अवधि में वरीयता
  4. प्रशिक्षित शिक्षकों की वरीयता
  5. सेवा अवधि समान रहने पर अधिक आयु वाले को वरीयता
  6. सेवा अवधि, वेतनमान और आयु तीनों सामान्य रहने पर अंग्रेजी अल्फाबेट के अनुसार वरीयता

उम्मीद करता हूं कि यह लेख आपको आगे बहुत फायदा पहुंचाएगी। अगर उपरोक्त जानकारी आपको अच्छी लगी है तो आप इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें

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